ऊँ सत नमो आदेश। गुरूजी को आदेश। ऊँ गुरूजी। ऊँकार आदिनाथ, उदयनाथ पार्वती, सतनाथ ब्रम्हा, सन्तोषनाथ विष्णू, अचलि अचम्भेनाथ, गजबली गजकन्धरनाथ, ज्ञानपारखू सिद्ध चौरंगीनाथ, मायारूपी दादा मत्सेन्द्रनाथ , घटे पिण्डे नव निरन्तरे सम्पूर्ण रक्षा करन्ते श्री शम्भुजती गुरू गोरक्षनाथ इतना नौनाथ नाम मंत्र जाप संपूर्ण सही अनन्त कोटि सिध्दों मे श्रीनाथजी गुरुजीने कही नाथजी गुरुजीको आदेश आदेश
नाथजी गुरूजी को आदेश। नौनाथ चौरासी सिद्धोको आदेश आदेश ।।
॥ आदेश आदेश ॥
सत नमो आदेश। गुरूजी को आदेश। ऊँ गुरूजी।
ऊँ गुरूजी मन मारू मैदा करू, करू चकनाचूर। पांच महेश्वर आज्ञा करे तो बेठू आसन पूर।
श्री नाथजी गुरूजी को आदेश।
सत नमो आदेश। गुरूजी को आदेश। ऊँ गुरूजी। धूप कीजे, धूपीया कीजे वासना कीजे।
जहां धूप तहां वास जहां वास तहां देव जहां देव तहां गुरूदेव जहां गुरूदेव तहां पूजा।
अलख निरंजन ओर नही दूजा निरंजन धूप भया प्रकाशा। प्रात: धूप-संध्या धूप त्रिकाल धूप भया संजोग।
गौ घृत गुग्गल वास, तृप्त हो श्री शम्भुजती गुरू गोरक्षनाथ।
इतना धूप मन्त्र सम्पूर्ण भया नाथजी गुरू जी को आदेश।
सत नमो आदेश। गुरूजी को आदेश।
ऊँ गुरूजी। जोत जोत महाजोत, सकल जोत जगाय, तूमको पूजे सकल संसार ज्योत माता ईश्वरी।
तू मेरी धर्म की माता मैं तेरा धर्म का पूत ऊँ ज्योति पुरूषाय विद्येह महाज्योति पुरूषाय धीमहि तन्नो ज्योति निरंजन प्रचोदयात्॥
अत: धूप प्रज्वलित करें।
सत नमो आदेश। गुरूजी को आदेश।
ऊँ गुरूजी। ऊँ सोहं धुन्धुकारा शिव शक्ति ने मिल किया पसारा, नख चीर भग बनाया-रक्त रूप में भगवा आया।
अनष पुरूष ने धारण किया तब पिछे सिध्दों को दिया।
आवों सिध्दों धरो ध्यान, भगवा, मन्त्र भया प्रमाण इतना भगवा मन्त्र सम्पूर्ण भया।
श्री नाथजी गुरूजी को आदेश।
सत नमो आदेश गुरुजी को आदेश ! आदेश ! ओम गुरु जी !
आदि मे शून्य शून्य मे ओमकार ,आओ सिद्धो नाद बिन्द का करो विचारा | |
नादे चन्द्रमा, नादे सूर्य, नाद रहा घट पिण्ड भरपूर |
नाद काया का पेषना, बिन्द काया की राह | नादे बिन्दे योगिया तीनो एक स्वभाव |
बाजे नाद भई परतीत, अनन्त कोटि सिद्धो में आए श्री शंभू यति गुरु गोरक्ष नाथ जी अतीत |
नाद बाजे काल भाजे, ज्ञान टोपी गोरष साजै |
डंकनी शांखनी टिल्ले बाल गुन्हाई, वाटे घाटे टल्ल जागे |
सुन्न सूकेसर; पीर पटेश्वर, नगर कोट महा माई |
टिल्ला शिवपुरी का स्थान, चार युग में मान,मुल-चक्र मूल थान |
पढ मंत्र योगी नाद बजावे, छत्तीस भोजन अमृत कर पावै |
बिना मंत्र पढ योगी नाद बजावे, खाया जरे न वाचा फुरे, तीन लोक मे कही ठौर न पावे |
जो जाने नाद -बिन्द का भेव, आपही करता आपही देव |
संध्या शिवपुरी का बेला, अनन्त कोटि सिद्धो का युगो युग मेला |
इतना नाद जनेऊ मंत्र सम्पूरण भया, श्री नाथ जी को आदेश ! आदेश !आदेश !
Original nhi hai mantra
ReplyDeletePurna navnath sadhana ani havan vidhi milel ka ?
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